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Budget session of Chhattisgarh Assembly: सड़कों के किनारे फ्लाई एश फेंकने वालों की अब खैर नहीं: डॉ. महंत का आरोप- जब से बीजेपी की सरकार बनी है बढ़ गई है मनमानी

Budget session of Chhattisgarh Assembly: उद्योगों से निकलने वाला फ्लाई एश बढ़ी समस्‍या बनती जा रही है। विशेष रुप से कोरबा और रायगढ़ क्षेत्र में इसका जनवजीवन पर असर पड़ने लगा है।आज यह मुद्दा विधानसभा में उठा।

Budget session of Chhattisgarh Assembly: सड़कों के किनारे फ्लाई एश फेंकने वालों की अब खैर नहीं: डॉ. महंत का आरोप- जब से बीजेपी की सरकार बनी है बढ़ गई है मनमानी
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By Sanjeet Kumar

Budget session of Chhattisgarh Assembly: रायपुर। उद्योगों ने निकलने वाले फ्लाई एश (राख) के निस्‍तारण के लिए पूरा नियम- कानून बना हुआ है। फ्लाई एश का उपयोग सीमेंट संयंत्रों, ईंट निर्माण, सड़क निर्माण, खदान और भू भराव के लिए किया जाता है। सरकार की तरफ से आज सदन में बताया गया कि फ्लाई एश को सड़कों के किनारे नहीं फेंका जा सकता है। मंत्री श्‍याम बिहारी जायवाल ने बताया कि फ्लाई एश के निस्‍तारण सही तरीके से किया जा रहा है या नहीं इसका समय- समय पर सत्‍यापन भी किया जाता है।

यह मामला प्रश्‍नकाल में उठा। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि फ्लाई एश की वजह से कोरबा और रायगढ़ क्षेत्र में लोगों का जीवन दुभर हो गया है। फ्लाई एश में कई तरह के हानिकारक रसायन होते हैं। उद्योग वाले इसे कहीं भी फेंक रहे हैं, जो उड़ता रहता है। उन्‍होंने कहा कि खदाना में फ्लाई एश के भरवा का नियम यह है कि ऊपर से 2 फीट मिट्टी डाली जाती है, लेकिन इसका कहीं भी पालन नहीं हो रहा है। डॉ. महंत ने आरोप लगाया कि प्रदेश में बीजेपी की सरकार आने के बाद सड़क के किनारे फ्लाई एश फेंकने वालों की संख्‍या बढ़ गई है। इस पर मंत्री जायवाल ने कहा कि जो भी संयंत्र नियम को पूरा नहीं करते हैं उन पर कार्यवाही करते हैं। 2021 से अब तक 169 प्रकरणों में कार्यवाही किए हैं और पेनाल्‍टी भी वसूल किए हैं। उन्‍होंने यह भी कहा कि अभी तक कोई शिकायत नहीं आई है। हमारी सरकार ने लगाम लगाया है। सड़क के किनारे राखड़ फेंकने वालों पर कड़ी कार्यवाही करेंगे। मंत्री ने कहा कि यदि आपके संज्ञान में कोई विषय है, तो उस पर निश्चित रुप से दिखवाएंगे। उसको ठीक करेंगे। वहीं, ब्‍यास कश्‍यप ने बताया कि मनरेगा के तहत खोदे गए तलाब को भी राखड़ से पाट दिया गया है।

साफ होगा जाति प्रमाण पत्र का रास्‍ता: सदन में मंत्री की घोषणा, मात्रात्‍मक त्रुटि सुधारने केंद्र सरकार को लिख रहे हैं पत्र

रायपुर। मात्रात्‍मक त्रुटि की वजह से जाति प्रमाण पत्र से वंचित लोगों को जाति प्रमाण पत्र और योजनाओं का लाभ देने का राज्‍य सरकार प्रयास करेगी। संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश की विष्‍णुदेव साय सरकार इस मामले में संवेदनशी है। राज्‍य सरकार इस मामले में केंद्र सरकार से पत्राचार कर रही है।

मात्रात्‍मक त्रुटि के कारण जाति प्रमाण नहीं बनने का यह मुद्दा विधानसभा में सीतापुर विधायक रामकुमार टोप्‍पो ने उठाया। उन्‍होंने बताया कि मांझी और माझी के चक्‍कर में इस जनजाति के लोगों का जाति प्रमाण पत्र नहीं बन पा रहा है, जबकि इस समुदाय के लोगों की स्थिति बहुत खराब है। टोप्‍पो ने इस मामले में शीघ्र कार्यवाही करने की मांग की। विभागीय मंत्री राम विचार नेताम की सदन में अनुपस्थिति के कारण आदिम जाति विकास विभाग के प्रश्‍नों का जवाब दे रहे संसदीय कार्य मंत्री अग्रवाल ने बताया केंद्रीय जनजातिय कार्य मंत्रालय को पत्र भेजने की कार्यवाही हम कर रहे हैं।

मंत्री अग्रवाल ने बताया कि इस मामले में राज्‍य और केंद्र दोनों ही सरकार संवेदनशील है। पूर्व में डॉ. रमन सिंह के नेतृत्‍व वाली भाजपा सरकार की पहल 12 जातियों को आरक्षण का लाभ मिलने लगा है। केंद्र सरकार संवेदनशील है। हमने सरकार में आते ही इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्‍द से जल्‍द सुधारा जाए। इस पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि छत्‍तीगसढ़ में ऐसी कई जातियां हैं जिन्‍हें मात्रात्‍मक त्रुटि के कारण लाभ नहीं मिल रहा है। इस पर मंत्री ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि मात्रात्‍मक त्रुटि सुधार दें।

दलहनी फसलों की MSP पर खरीदी: चना का बढ़ रहा है रकबा, क्‍या सरकार करेगी समर्थन मूल्‍य पर खरीदी, मंत्री बोले...

रायपुर। दलहनी फसलों की समर्थन मूल्‍य (एमएसपी) पर खरीदी का मामला आज विधानसभा में प्रश्‍नकाल में उठा। कांग्रेस विधायक संगीता सिन्‍हा ने इसको लेकर सरकार से सवाल किया। पूछा क्‍या सरकार चना सहित अन्‍य दलहनी फसलों की समर्थन मूल्‍य पर खरीदी करेगी। इस पर मंत्री ने कहा कि चना की बाजार में कीमत समर्थन मूल्‍य से ज्‍यादा है, इस वजह से किसान इसे सरकारी मंडी में बेचने नहीं आते हैं।

कृषि मंत्री राम विचार नेताम की अनुपस्थिति में प्रश्‍न का उत्‍तर देने के लिए खड़े हुए संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के 20 जिलों में दलहनी फसलों की खरीदी के लिए केंद्र बनाए गए हैं, लेकिन कोई किसान बेचने नहीं आता है। इस पर विधायक सिन्‍हा ने कहा कि संजरी- बालोद का उदाहरण देते हुए कहा कि जल स्‍तर गिर रहा है ऐसे में किसान धान के स्‍थान पर चना की खेती ज्‍यादा कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में चना का रकबा कई गुना बढ़ा है। उन्‍होंने चना की भी समर्थन मूल्‍य पर खरीदी करने की मांग करते हुए राज्‍य के सभी जिलों में खरीदी केंद्र बनाने की मांग की। इस पर मंत्री ने कहा कि यदि किसान सरकारी मंडी में बेचने आएंगे तो निश्चित रुप से खरीदी की जाएगी और केंद्र भी बढ़ा दिए जाएंगे। हमारी सरकार में किसानों को कोई दिक्‍कत नहीं होने दिया जाएगा। इसी प्रश्‍न के उत्‍तर में मंत्री ने बताया कि अरहर का समर्थन मूल्‍य 7 हजार, उड़द का 6950, मूंग कस 8558, चना 5440 और मसूर का मसर्थन मूल्‍य 6425 रुपये प्रति क्विंटल है।

गोबर खरीदी की होगी जांच: विधानसभा की समिति करेगी गोबर खरीदी के साथ पैरा परिवहन की जांच

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की महत्‍वकांक्षी योजनाओं में शामिल गोधन न्‍याय योजना के तहत हुई गोबर खरीदी और पैरा परिवहन की जांच विधानसभा की प्रश्‍न संदर्भ समिति करेगी। आज विधानसभा में इसको लेकर हुए सवालों का जवाब देते हुए विभागीय मंत्री राम विचार नेताम की अनुपस्थिति में संसदीय कार्य मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने यह घोषणा की।

पैरा परिवहन और गोबर खरीदी को लेकर बीजेपी के दो विधायकों ने प्रश्‍न लगाया था। पैरा परिवहन को लेकर अजय चंद्राकर ने सवाल किया। वहीं गोबर खरीदी पर लता उसेंडी ने प्रश्‍न किया था। चंद्राकर ने कहा कि पैरा परिवहन के नाम पर मनमानी की गई। परिवहन व्‍यय भुगतान के लिए कोई मापदंड तय नहीं था। उन्‍होंने इस पूरे मामले की विधायकों की समिति से जांच कराने की मांग की। इस पर मंत्री अग्रवाल ने पहले अधिकारियों की टीम बनाकर जांच करने की घोषणा की, लेकिन चंद्राकर ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि यह सब खेल उन्‍हीं लोगों ने किया है और वे ही जांच करेंगे। ऐसा नहीं हो सकता। इस पर अग्रवाल ने स्‍पीकर डॉ. रमन सिंह ने कहा कि यदि आप चाहें तो विधानसभा की प्रश्‍न संदर्भ समिति से जांच करा सकते हैं। स्‍पीकर डॉ. रमन सिंह ने इस पर सहमति दी।

अगला प्रश्‍न लता उसेंडी का गोबर खरीदी को लेकर था। उन्‍होंने आरोप लगाया कि उनकी जानकारी में कई किसान ऐसे हैं जिन्‍होंने कम गोबर बेचा है, लेकिन उनके नाम पर ज्‍यादा खरीदी दिखाई गई है। उसेंडी ने कोंडागांव के एक किसान का उदाहरण देते हुए बताया कि उस किसान के पास केवल 10 मवेशी है और उन्‍होंने केवल 52 हजार किलो गोबर बेचा है, लेकिन उनसे खरीदी 52 लाख किलो से ज्‍यादा बताई गई है। उसेंडी ने कहा कि पैरा परिवहन की जांच हो रही है तो क्‍या गोबर खरीदी को भी उसमें शामिल किया जाएगा। इस पर मंत्री अग्रवाल ने सहमति दे दी। इस पर स्‍पीकर डॉ. रमन ने कहा कि ठीक है पैरा परिवहन के साथ इसकी भी जांच विधानसभा की समिति से करा ली जाएगी।

Sanjeet Kumar

संजीत कुमार: छत्‍तीसगढ़ में 23 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। उत्‍कृष्‍ट संसदीय रिपोर्टिंग के लिए 2018 में छत्‍तीसगढ़ विधानसभा से पुरस्‍कृत। सांध्‍य दैनिक अग्रदूत से पत्रकारिता की शुरुआत करने के बाद हरिभूमि, पत्रिका और नईदुनिया में सिटी चीफ और स्‍टेट ब्‍यूरो चीफ के पद पर काम किया। वर्तमान में NPG.News में कार्यरत। पंड़‍ित रविशंकर विवि से लोक प्रशासन में एमए और पत्रकारिता (बीजेएमसी) की डिग्री।

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